Translated By:- Dr. Vikas Dave
मेरे प्रिय हिन्दू भाइयों और बहनों,
मेरे प्रिय हिन्दू भाइयों और बहनों,
सर्व प्रथम मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूँ की मैं स्वयं एक हिन्दू हूँ और अपने हिन्दू भाइयों और बहनों से बड़ा ही दु:खी हूँ| शायद इस धरा का सबसे शांति प्रिय धर्म जिसकी जड़ें ५००० वर्षों से भी पुरानी है, उसीके अनुयायी ही उसे पतन की ओर जाता देख रहे हैं| वह उस समय जबकि विश्व समुदाय अपने अपने धर्मों के साथ अग्रसर हो रहा है और हमने अपने धर्मं को आत्म-रक्षा के लिए अकेला छोड़ दिया है| एक धर्मं जिसके अनुसार शेष सभी धर्म और खासकर हिन्दू धर्म विश्व समुदाय के लिए एक अभिशाप है, और दूसरा फिर वह धर्मं जिसने हमेशा चंद रुपयों का लालच देकर गरीबो का धर्म परिवर्तन करवाया ; इसकी मार हमेशा हिन्दू धर्मं ने खायी है| उस समय जबकि विश्व समुदाय ने अपने धर्म को सीने से लगा कर रखा, हमने न सिर्फ अपने धर्म को भुलाया बल्कि अ-धार्मिक होने को प्रगति की निशानी मान लिया| तो मेरे हिन्दू भाइयों से मेरा सबसे पहला सवाल यही है की कबसे अ-धार्मिक होना या अपने धर्मं का अनादर करना प्रगति की निशानी बन गया!!!!!
सोचिये, हमारी उदासीनता ही हमारे धर्मं की इस दयनीय स्थिति का सबसे बड़ा कारण है| हर पल हमारे अन्दर की नकली बुद्धिमत्ता को प्रदर्शित करने की प्रवृत्ति या की ‘अपने धर्मं की प्रशंसा करना मुर्खता की निशानी है’ मैं ही हमारे धर्मं की इस कुख्याति जड़ें विध्यमान है| हिन्दू, हिन्दुवाद, हिन्दू-धर्मं और हिन्दू संस्कृति की हमने एक समाज के रूप में कई दशकों से उपेक्षा की है और यह मात्र इसलिए की विश्व समुदाय की नज़रों मैं हम प्रगतिशील कहलायें? चाहे उसके लिए अपने धर्म को ही क्यों न विस्मृत करना पड़े! ( मुझे नहीं पता हमने यह धारणा किस तरह बना ली)| अगर हमारी इस दुर्गति के लिए कोई जिम्मेदार है तो वह हम स्वयं, हमारी केंद्र सरकार की ‘तुष्टिकरण और वोटबैंक’ राजनीति और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सामाजिक कार्यकर्ता जो की हमारे समाज और कांग्रेस पार्टी के अन्दर अपनी जड़ें जमायें बैठे है|
एक सत्य जिसकी हम उपेक्षा न करें और आओ कम से कम एक बार आत्म-मंथन करें| आज भारत और भारत के राजनितिक मायनों में अपने आप को एक गर्वित हिन्दू घोषित करना या की अपने धर्मं के मूलभूत सिद्धांतो का समर्थन करना अपराध हो गया है| क्या ऐसा यहूदियों के साथ इसरायील मैं, मुसलमानों के साथ पाकिस्तान या अन्य मुस्लिम देशों में या फिर ईसाईयों के साथ अमेरिका या अन्य यूरोपियन देशों में होता है? तो फिर भारत में अगर बहुसंख्यक अपने धर्म का आदर सम्मान करने की कोशिश करे तो उसे सवालों की झड़ी लगा कर इतना प्रताड़ित क्यों किया जाता है? तो फिर भारत मैं ही क्यों बहुसंख्यकों का ‘अपने धर्म से प्यार’ को अपराध-बोध करार दिया जाता है या फिर उन्हें तरह-तरह के नामों से बुलाया जाता है, राजनैतिक गालियाँ दी जाती है और लोकतांत्रिक रूप से उदासीन मान लिया जाता है?
अगर आप दोषी को ढूंढ रहे है तो मेरा सुझाव है की बेहतर होगा आईने में झाँक लें| कांग्रेस और उसके घटक दलों को और उनकी दशकों से चली आ रही हिन्दू-विरोधी नीतियों को देखिये, बारबार हिन्दू हितों के विरुद्ध निर्णय लेते है और कितनी आसानी से हमारी निगाहों से फिसल जाते है| क्यों? क्योंकि हम स्वयं अपनी जड़ों, अपने मूल्यों और अपनी पहचान का आदर नहीं करते है| वो बारबार हमारे संवैधानिक मूल्यों को ताक में रख कर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण नीतियाँ बनाते हैं और बदले मैं हिन्दू हितों की बलि चढाते है और हम सिर्फ यह जताने के लिए की हम धर्मनिर्पेक्ष हैं चुप रहते है, और तो और उसका समर्थन भी करते है? हम इस भेदभाव पूर्ण व्यवहार को न सिर्फ सहन करते है बल्कि बेशर्मों की तरह उन्हें बारबार चुन कर अपने प्रति और अत्याचार करने का मौका देते है| डॉ. मनमोहन सिंह ने लाल किले पर से कहा की “अल्पसंख्यकों का हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर पहला अधिकार है” उसके विरूद्ध कोई आवाज़ उठती क्यों सुने नहीं देती है? विरोध तो छोडिये क्या किसी ने डॉ. सिंह से इतना भी पूछा की आपके इन विचारों का औचित्य क्या है|
थोडा ठन्डे दिमाग से विचार कीजिये- अगर यही बात डॉ. सिंह इसके विपरीत कहते तो इतनी आसानी बच निकलते? चलिए यह भी छोडिये, क्या वे अपने पूरे भाषण में हिन्दू शब्द का उपयोग करने और प्राकृतिक संसाधनों पर हिन्दुओं अधिकार घोषित करने की हिम्मत करते? मैं दावा करता हूँ की वे अपनी ‘नकली कुर्सी’ कभी के गवां चूके होते| मैं दावा करता हूँ की अल्पसंख्यक अपना गला फाड़-फाड़ कर अपने अधिकार और बराबरी के लिए पूरे देश को सर पर उठा लेते| मैं दावा करता हूँ की हमारा तक़रीबन आधा बिकाऊ मीडिया अल्पसंख्यको के अधिकारों को लेकर हजारों लीटर घडियाली आंसू बहाता और डॉ. सिंह का खून पीने पर आमादा हो जाता| तो फिर हम क्यों चुप हैं, क्यों प्रतिक्रिया नहीं देते है? अगर हम हमारे प्रधान मंत्री के लिए कुछ भी नहीं तो फिर हम यह सब कुछ साफ़-साफ़ देखते हुए क्यों इसका विरोध नहीं करते है? दोस्तों, कहीं कुछ मुलभुत गङबङी है और अगर हम कुछ मायनों मै अपनी सार्थकता को जीवंत रखना चाहते है तो इस गलती को सुधारना होगा|
क्या आपने कभी गौर किया है की अगर कोई भी व्यक्ति या राजनेता अगर कांग्रेस के विरोध में कुछ बोलता है तो उनकी क्या प्रतिक्रिया होती है? चाहे वह भ्रष्टाचार हो या गलत नीतियां हो या कोई हिन्दू-हित विरोधी गुप्त षडयंत्र हो, हमें दिग्विजय सिंह या मनीष तिवारी जैसे लोगों के मूंह से एक ही बात सुनने को मिलती है| वे उसका सम्बन्ध RSS से जोड़ देते हैं , वह चाहे अन्ना हो चाहे रामदेव हो या कहीं उड़ीसा के कालाहांडी में बैठा कोई गरीब प्राणी| वाकई? RSS से सम्बन्ध होना अपराध है? क्या RSS, VHP या BJP से सम्बंधित होना शर्मनाक है जैसा की ये अधम हमें विश्वास दिलाना चाहते है? क्या दिग्विजय सिंह किसी मुस्लिम या इसाई संगठन का नाम इतनी आसानी से लेकर उन्हें बदनाम करने की हिम्मत कर सकता है? मुझे पूरा विश्वास है की वह अगले दिन समाचार पत्र में अपनी करतूत पढने के लिए जीवित नहीं बचेगा| क्यों यह साधारण सा सवाल दिग्विजयसिंह या उसकी मानसिकता जैसे लोगों से कोई नहीं करता है? क्यों आजतक किसी मीडिया वाले ने यह साधारण सा सवाल एक बार भी नहीं उठाया? क्यों दिग्विजय सिंह और उसके साथी बारबार हिन्दू भावनाओं के साथ खिलवाड़ करके बच निकलते है?
इसका हल? हाँ इसका हल है दोस्तों| सबसे पहले हमें अपनी पहचान बनानी होगी| आप इस देश के अल्पसंख्यकों की एकजुटता को देखो, इतनी की उनने राजनीतिज्ञों के मन में उनका बहुमूल्य वोट बेंक खो जाने का डर पैदा कर दिया है| अल्पसंख्यक होते हुए भी वे अपना दम दिखाने में सक्षम है, क्योंकि एकजुट है| मुझे पूरा विश्वास है की ये राजनैतिक गिद्ध किसी के नहीं है, मुसलमानों के भी नहीं| उन्हें सिर्फ अपने वोटों से मतलब है और अगर किसी समुदाय विशेष के तुष्टिकरण से वोट मिलते है, तो फिर क्या समस्या है| अगर इस प्रक्रिया में हिन्दू हितों को ठेस पहुँचती है तो क्या फर्क पड़ता है| इसके विपरीत हम हिन्दू जितना संभव है उतने ही बिखरे हुए हैं| राजनीतिज्ञों को पता है जहाँ तक हिन्दू एकजुटता का सवाल है उसका अंदाजा लगाना शारुख खान के संवादों का अंदाजा लगाने के बराबर है| हमारे राजनीतिज्ञों को पता है की पुरे विश्व में सबसे अधिक तथाकथित बुद्धिमान और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सिर्फ हमारे समाज में ही पाए जा सकते हैं| उन्हें पता है की अपनी पहचान हिन्दू बताना हिन्दुओं के लिए पिछड़ेपन की निशानी बन चूका है|
समय बहुत नजदीक आ चूका है इस सोच को जल्दी ही बदलने का, २०१४ के साधारण चुनाव से पहले| क्या इन उत्पातियों को कम से कम एक बार हम बता सकते हैं की हम क्या हैं, और अपना धर्म हमारे लिए क्या मायने रखता है| क्या एक बार हम हिम्मत करके कह सकने में सक्षम है की बहुत हो चूका| क्या हम एक बार उस दल को वोट दें जो हमारे हितों की हमारे धर्म की और हमारी आकांक्षाओ की रक्षा करे| क्या हम अपने राजनैतिक आकाओं के मन में एक बार डर पैदा कर सकें की हमारी उपेक्षा का परिणाम क्या हो सकता है? सिर्फ एक बार?
और चलते चलते ‘इन्टरनेट हिन्दुस’? वाकई? में अभी तक चकित हूँ की इस देवी को अभी तक इस शब्द को प्रचलित करने के लिए पद्म भूषण से नहीं आलंकित किया गया|
भवदीय,
एक और पीड़ित हिन्दू
Can we translate this to English ?
@Anonymous
Originally it was written in English but translated to Hindi by an esteemed reader of mine. Here is the English link of the same http://www.beingcynical.com/2012/09/open-letter-to-hindu-community.html
Hi,
you know why there is so much of unity in Muslims, because they are afraid of being ruined if they scattered themselves.
But I believe Hindu does not need such unity to protect themselves. Well regarding showing Hindu community power to political parties then I have a best solution - let's go out and vote, Muslims ki phir kya aukaat hai ki khaali unke dam per koi pura election jeet jaye. Because being muslim I also like to live in equal society, growth of the country where my next all generation will be living, and all of those dreams which might be with one middle class Hindu has....
BC, I am very big fan of your political views and writing guts, but please don't divide country.
I know you'll say read this article carefully and you don't find anywhere which divides us, but this subject itself passively does that...
Ek Dukhi Muslim...
@the anon muslim above
I really admire the polite way in which you expressed yourself,especially the last line.
"but this subject itself passively does that..."
- a Hindu who believes in secularism
@a Hindu who believes in secularism,
Thank you very much for supporting my thought, see this happens when ELDER brother (Hindu) appreciates and shows the faith in YOUNGER one (Muslims). It increases the bounding and faith..
Thank you once again...
@BC - you are true writer, because you allow everybody to express themselves on your forum. Thank you very much for that.
- Ek Hopeful Muslim :-)
Dear dukhi muslim i wish ur brothers shared views with u. Do u know u hv grown from 1 cr in 40 cr to 20 cr in 120 cr. U are having party time in india because hindus are seculars in true sense. See the plight of hindus in akistan and in hindus own kasmir and in bangaldesh. A perfact proof is there was an immediate hindu supporter you found below ur reaction. Dont be dukhi hindus have never divided society they have always been at receing end but may not be forever.
मैं भी श्री आशुतोष रावल की टिपण्णी से सहमत हूँ . मुस्लिम समाज की प्रगति की एकमात्र गारंटी अगर कुछ है तो वह है हिन्दू मन की सहिष्णुता .इसे अगर बुझदिली मानने की गलती की गयी तो परिणाम बहुत खतरनाक हो सकते हैं .मेरे मुस्लिम मित्र अटल जी की इस कविता को एक बार अवश्य पढ़ें -
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै शंकर का वह क्रोधानल कर सकता जगती क्षार क्षार
डमरू की वह प्रलयध्वनि हूं जिसमे नचता भीषण संहार
रणचंडी की अतृप्त प्यास मै दुर्गा का उन्मत्त हास
मै यम की प्रलयंकर पुकार जलते मरघट का धुँवाधार
फिर अंतरतम की ज्वाला से जगती मे आग लगा दूं मै
यदि धधक उठे जल थल अंबर जड चेतन तो कैसा विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै आज पुरुष निर्भयता का वरदान लिये आया भूपर
पय पीकर सब मरते आए मै अमर हुवा लो विष पीकर
अधरोंकी प्यास बुझाई है मैने पीकर वह आग प्रखर
हो जाती दुनिया भस्मसात जिसको पल भर मे ही छूकर
भय से व्याकुल फिर दुनिया ने प्रारंभ किया मेरा पूजन
मै नर नारायण नीलकण्ठ बन गया न इसमे कुछ संशय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै अखिल विश्व का गुरु महान देता विद्या का अमर दान
मैने दिखलाया मुक्तिमार्ग मैने सिखलाया ब्रह्म ज्ञान
मेरे वेदों का ज्ञान अमर मेरे वेदों की ज्योति प्रखर
मानव के मन का अंधकार क्या कभी सामने सकठका सेहर
मेरा स्वर्णभ मे गेहर गेहेर सागर के जल मे चेहेर चेहेर
इस कोने से उस कोने तक कर सकता जगती सौरभ मै
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै तेजःपुन्ज तम लीन जगत मे फैलाया मैने प्रकाश
जगती का रच करके विनाश कब चाहा है निज का विकास
शरणागत की रक्षा की है मैने अपना जीवन देकर
विश्वास नही यदि आता तो साक्षी है इतिहास अमर
यदि आज देहलि के खण्डहर सदियोंकी निद्रा से जगकर
गुंजार उठे उनके स्वर से हिन्दु की जय तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
दुनिया के वीराने पथ पर जब जब नर ने खाई ठोकर
दो आँसू शेष बचा पाया जब जब मानव सब कुछ खोकर
मै आया तभि द्रवित होकर मै आया ज्ञान दीप लेकर
भूला भटका मानव पथ पर चल निकला सोते से जगकर
पथ के आवर्तोंसे थककर जो बैठ गया आधे पथ पर
उस नर को राह दिखाना ही मेरा सदैव का दृढनिश्चय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मैने छाती का लहु पिला पाले विदेश के सुजित लाल
मुझको मानव मे भेद नही मेरा अन्तःस्थल वर विशाल
जग से ठुकराए लोगोंको लो मेरे घर का खुला द्वार
अपना सब कुछ हूं लुटा चुका पर अक्षय है धनागार
मेरा हीरा पाकर ज्योतित परकीयोंका वह राज मुकुट
यदि इन चरणों पर झुक जाए कल वह किरिट तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै वीरपुत्र मेरि जननी के जगती मे जौहर अपार
अकबर के पुत्रोंसे पूछो क्या याद उन्हे मीना बझार
क्या याद उन्हे चित्तोड दुर्ग मे जलनेवाली आग प्रखर
जब हाय सहस्त्रो माताए तिल तिल कर जल कर हो गई अमर
वह बुझनेवाली आग नही रग रग मे उसे समाए हूं
यदि कभि अचानक फूट पडे विप्लव लेकर तो क्या विस्मय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
होकर स्वतन्त्र मैने कब चाहा है कर लूं सब को गुलाम
मैने तो सदा सिखाया है करना अपने मन को गुलाम
गोपाल राम के नामोंपर कब मैने अत्याचार किया
कब दुनिया को हिन्दु करने घर घर मे नरसंहार किया
कोई बतलाए काबुल मे जाकर कितनी मस्जिद तोडी
भूभाग नही शत शत मानव के हृदय जीतने का निश्चय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥
मै एक बिन्दु परिपूर्ण सिन्धु है यह मेरा हिन्दु समाज
मेरा इसका संबन्ध अमर मै व्यक्ति और यह है समाज
इससे मैने पाया तन मन इससे मैने पाया जीवन
मेरा तो बस कर्तव्य यही कर दू सब कुछ इसके अर्पण
मै तो समाज की थाति हूं मै तो समाज का हूं सेवक
मै तो समष्टि के लिए व्यष्टि का कर सकता बलिदान अभय
हिन्दु तन मन हिन्दु जीवन रग रग हिन्दु मेरा परिचय॥